मेरा नाम मोनू है उम्र 18 साल और मैं लखनऊ में रहता हूँ।
इस कहानी में मैं आपको बताऊँगा कि कैसे मैंने मेरी बड़ी बहन की चुदाई मेरे जिगरी दोस्त से करवाई।
मेरे दोस्त का नाम रिशु है और वह पहले मेरे पड़ोस में रहता था। हमारी दोस्ती बचपन की है। उसके घर पर उसके मम्मी पापा और वो खुद रहते है। हमारे घरेलू रिश्ते थे, मेरी दीदी उसको भी राखी बंधती थी और छोटा भाई समझती थी पर वो मेरी दीदी को चोदना चाहता था और मुझे उसकी मम्मी बहुत अच्छी लगती थी। हम समलैंगिक सम्बन्ध भी करते थे इसीलिए हम एक दूसरे से कुछ नहीं छुपाते थे।
उसके पापा का एक साल के लिए अचानक दिल्ली ट्रान्सफर हो जाने से अब वो और उसकी मम्मी ही वहाँ रहते है पर अब उन्होंने अपना घर मेरे घर से चार किलोमीटर की दूरी पर बनवा लिया है और कुछ दिन पहले वो वहाँ रहने चले गए हैं। मेरे घर पर भी मेरे मम्मी-पापा और मेरी बहन रश्मि रहते हैं। मेरे मम्मी-पापा दोनों नौकरी करते हैं और रश्मि कालेज में पढ़ती है। रश्मि की उम्र 19 साल है।
एक दिन मैं रिशु के घर गया तो उसकी माँ ने दरवाजा खोला और मुझे अंदर बुलाया।
मैंने उनसे पूछा- कामिनी आंटी, रिशु कहाँ है? कई दिनों से मिला ही नहीं और कालेज भी नहीं आ रहा है?
कामिनी- उसकी तो तबियत बहुत खराब है।
क्या हो गया आंटी? मैंने पूछा।
कामिनी- अब तुमसे क्या छिपाऊँ, जब से इस घर में आए हैं अचानक उसको दौरे पड़ने लगे हैं। वैसे तो एकदम ठीक रहता है पर अचानक चक्कर आ कर गिर पड़ता है।
तब तक रिशु भी आ गया। मैंने देखा तो दिखने से वो एकदम फिट लग रहा था।
मैंने उससे पूंछा कि आंटी क्या कह रही है? किसी डॉक्टर को दिखाया या नहीं?
रिशु- यार सभी बड़े डॉक्टरों को दिखा लिया, एक महीने से दवा खा रहा हूँ पर कुछ फर्क ही नहीं पड़ता है। अचानक चक्कर आ जाता है और एक से दो मिनट के लिए मैं बेहोश हो जाता हूँ। इसीलिए गाड़ी भी नहीं चला रहा और घर से बाहर भी नहीं जा रहा हूँ।
मैंने आंटी से कहा- आप मेरे साथ चलिए और रिशु की कुंडली ले लीजिए। मेरे एक गुरु जी है जो ज्योतिष के अच्छे जानकार है और कई लोगों की मदद कर चुके हैं। वो बता सकते हैं कि रिशु को क्या दिक्कत है।
आंटी भी साधू लोगों को बहुत मानती थी तो वो उसी समय मेरे साथ चल दी। रिशु को हमने घर पर ही छोड़ दिया कि कहीं रास्ते में तबियत न खराब हो जाये। गुरु जी के आश्रम पहुँच कर हमने अपने आने की खबर करवाई।
काफी भीड़ होने के बावजूद गुरु जी ने हमें पहले ही बुलवा लिया।
गुरु जी- आओ बेटा मोनू, सब कुशल मंगल तो है?
मैंने बताया- नहीं गुरु जी, ये मेरे दोस्त की माता जी हैं। अचानक मेरे दोस्त को दौरे पड़ने लगे हैं जिससे हम बहुत परेशान हैं।
गुरु जी- क्या नाम है बेटी तुम्हारे पुत्र का?
कामिनी- जी रिशु !
गुरु जी- अरे बहुत ही सुन्दर और गुणी बालक है, कई बार मोनू के घर पर उससे मुलाकात हो चुकी है मेरी।
कामिनी- जी कई डॉक्टरों को दिखाया पर कुछ नहीं हुआ, अब तो आपका की सहारा है।
गुरु जी- बेटी तुम पुत्र की जन्म कुंडली ली हो क्या?
कामिनी- जी महाराज, यह लीजिये !
यह कह कर कामिनी ने रिशु की कुंडली स्वामी जी को दे दी। करीब एक घंटे तक स्वामी जी ने उसको पढ़ा-देखा
गुरु जी- बेटी, अब तक जीवन में मैंने ऐसा दोष नहीं देखा। इसका ठीक होना असंभव है।
यह सुन कर कामिनी आंटी जोर से रोने लगी और कहने लगी- नहीं महाराज, ऐसे मत कहिये, रिशु मेरा एक ही बेटा है, उसके लिए जो भी करना होगा वो मैं करूंगी पर आप मुझे निराश न करें।
गुरु जी- धीरज रखो बेटी !
कामिनी- नहीं महाराज, अब अगर मेरा बेटा ठीक नहीं हुआ तो मैं अपनी जान दे दूँगी।
गुरु जी- मोनू बेटा, तुम जरा बाहर जाओ, मुझे कामिनी से अकेले में कुछ बात करनी है।
मैं उठ कर बाहर आ गया और दरवाजे से कान लगा कर खड़ा हो गया।
अंदर गुरु जी आंटी से कह रहे थे- देखो बेटी, मैं वैसे तो यह उपाय बताने वाला नहीं था पर तुम्हारी हालत मुझे मजबूर कर रही है। पर यह उपाय भी आसान नहीं है और धर्म संगत भी नहीं है।
कामिनी- ऐसी क्या बात है स्वामी जी?
गुरु जी- बेटी, रिशु की कुंडली में एक भयानक दोष है जो सिर्फ एक हालत मैं ही हट सकता है। मुझसे तो कहा भी नहीं जा रहा।
कामिनी: बताइए स्वामी जी। जो भी उपाय होगा मैं करने के लिए तैयार हूँ।
गुरु जी- बेटी, रिशु एक ही दशा मैं ठीक हो सकता है। यदि वो एक ही सप्ताह के भीतर किसी अविवाहित कुंवारी ब्राह्मण कन्या से तीन बार सम्भोग करे।
यह सुन कर मुझे तो झटका लग गया और आंटी भी चौंक गई।
यह आप क्या कह रहे है गुरु जी? इस बात की संबावना तो बहुत कम है की कोई ब्राह्मण अपनी बेटी की शादी रिशु से करे जबकि हम ब्राह्मण नहीं हैं। कामिनी बोली।
गुरु जी- मैंने कहा है अविवाहित कन्या ! यह नहीं कहा कि उसका रिशु से विवाह हो, यदि विवाह हो गया तो वो कन्या भी कायस्थ हो जायेगी और यह उपाय विफल हो जायेगा। साथ ही इस बात का ध्यान भी रखना होगा कि पहले सम्भोग के वक्त उसकी योनि अक्षत हो और कन्या के मासिकधर्म होते हों अर्थात आयु 16 वर्ष से अधिक हो और पूरे सप्ताह वो सिर्फ रिशु के साथ ही सम्भोग करे किसी और के साथ नहीं ! और कम से कम तीन बार सम्भोग करे ही।
इस उपाय के बाद रिशु चाहे तो उस कन्या से विवाह कर सकता है।
मुझे तो यह असंभव लगता है, भला कौन लड़की तैयार होगी इस तरह से ! और जो किसी लालच में तैयार हो जायेगी तो वो कुंवारी तो नहीं ही होगी। वैसे भी आज कल तो लड़कियाँ 13-14 की उम्र में ही अपना कुंवारापन खो देती हैं। कामिनी ने कहा।
गुरु जी ने कहा- जरूरी नहीं कि कन्या तैयार हो, बात सम्भोग की है प्रेम की नहीं। और मैंने कहा ही था कि उपाय कठिन है। पर इसके सिवाय कोई दूसरा रास्ता नहीं है। और अगर रिशु इस बीमारी से निकल जाता है तो 80 वर्ष का आरोग्य जीवन होगा।
यह सुन कर कामिनी आंटी ने गुरु जी को प्रणाम किया और बाहर आ गई। हम वापस घर चल पड़े। इतनी देर में मैंने अपनी योजना बनाई और अनजान बनते हुए आंटी से पूछा- स्वामी जी ने क्या कहा और आप इतनी परेशान क्यों हैं?
तो कामिनी आंटी ने मुझसे कहा- बात तुम्हारे लायक नहीं है। अभी तुम छोटे हो।
मैंने कहा- आंटी आप मुझे नहीं बताना चाहती तो कोई बात नहीं ! पर मैंने सब कुछ सुन लिया है।
कामिनी- जब तुमने सब कुछ अपने कानों से सुन लिया है तो मुझसे क्या पूछ रहे हो? स्वामी जी ने जो कहा है वो तो हो नहीं सकता।
मैंने कहा- आंटी, इतनी जल्दी हार नहीं मानिए, मैं काफी देर से यही सोच रहा था कि आपके घर जो काम वाली है वो तो ब्राह्मण है और उसकी बेटी अभी 16 साल की ही होगी। अगर उसको पाँच दस हजार रुपये दे दिए जायें तो वो शायद तैयार हो जाये?
कामिनी- अरे वो कुंवारी नहीं है, जब 15 साल की थी तभी एक लौंडे के साथ भाग गई थी। 4 महीने बाद लौट कर घर आई थी और मान लो कि अगर वो कुँवारी होती भी तो कौन सी माँ मान जायेगी। तुम भी तो ब्राह्मण हो, तुम्हीं कोई लड़की बताओ। अरे अगर कोई तुम्हें दस हजार रुपये दे तो क्या तुम अपने घर की लड़की किसी को दे दोगे?
मैंने कहा- आंटी, आप तो नाराज़ हो रही हैं ! रिशु को मैं अपने भाई से बढ़कर मानता हूँ और जरूरत पड़े तो रश्मि को भी इस काम के लिए दे सकता हूँ और वो भी बिना किसी पैसे के।
मेरी बात सुन कर कामिनी के तो होश ही उड़ गए, वो बोली- सच मोनू, अगर यह तुम सच कह रहे हो तो तुम रिशु को वाकई भाई मानते हो और रश्मि है तो 18 की पर इतनी सीधी है कि पक्का कुँवारी ही होगी। तुम अगर ऐसा कर दोगे तो मैं तुम्हारा एहसान जिंदगी भर नहीं भूलूंगी और रश्मि की शादी भी रिशु से कर दूँगी। पर रश्मि तैयार हो जायेगी?
मैंने कहा- देखिये स्वामी जी ने कहा था कि सम्भोग बिना कन्या की स्वीकृति से भी हो सकता है। और दूसरी बात मेरे घर वाले नहीं मानेगे कि उसकी शादी किसी गैर ब्राह्मण के यहाँ हो इसीलिए मुझे इस बात का वादा चाहिए कि यह बात बाहर नहीं जायेगी ताकि रश्मि की बदनामी न हो।
कामिनी- मैं जबान देती हूँ !
जबान से काम नहीं चलेगा, आज हमारे सम्बन्ध अच्छे है कल कौन जाने क्या हो जाये? आप कुछ नहीं कहेगी पर अगर मेरी रिशु से लड़ाई हो जाये और वो सबको बोल दे? मैंने कहा।
कामिनी- तो तुम क्या चाहते हो?
देखिए, मेरी सगी बहन की इज्जत का सवाल है तो दूसरी तरफ रिशु की भी किसी सगी रिश्तेदार का सवाल होना चाहिए।
कामिनी- देखो मोनू, अगर मेरे कोई बेटी होती तो मैं उसे तुम्हारे हवाले कर देती, पर मेरा एक ही बेटा है रिशु !
बेटी न सही माँ ही सही ! मैंने कहा।
मेरी बात सुन कर कामिनी चौंक गई। मैं कहा चौकिये मत आंटी जी, देखिये अगर रश्मि के साथ रिशु ने सम्भोग किया और आपने मेरे साथ तो ना मैं किसी से कहूँगा ना आप लोग। रिशु की बीमारी भी ठीक हो जायेगी और मेरी चिंता भी दूर हो जायेगी जो मुझे रश्मि की बदनामी को लेकर है। अरे, अब सोच क्या रही हैं, मैं अपने दोस्त के लिए अपनी सगी बहन की क़ुरबानी दे सकता हूँ और आप अपने इकलौते बेटे के लिए अपनी क़ुरबानी नहीं दे सकती?
कामिनी बोली- मैं यह नहीं सोच रही हूँ ! क्योंकि मेरे पास तैयार होने के अलावा कोई रास्ता नहीं है। बल्कि यह सोच रही हूँ कि तुम्हें एक 37 साल की औरत में इतनी दिलचस्पी क्यों है?
मैंने कहा- अरे आंटी, हीरे की कदर तो जौहरी ही जानता है। तो बताइए बात पक्की?
पक्की ! कामिनी बोली।
और मैंने प्यार से आंटी के एक होठों पर एक पप्पी ले ली।
उनके घर पहुँच कर मैंने गाड़ी रोकी और बोला- आंटी आप रिशु को बाहर भेज दीजिए ताकि उसे भी मैं समझा दूँ।
कामिनी बोली- उसे यह भी बताओगे क्या कि रश्मि के बदले तुम मुझसे सम्भोग करोगे?
जितना जरूरी होगा उतना ही बताऊँगा, आप उसे बाहर तो भेजिए।
कामिनी अंदर गई और रिशु बाहर आ गया। उसे गाड़ी में बिठा कर हम वहाँ से चल दिए थोड़ी दूर जाकर मैंने गाड़ी एक तरफ़ रोकी और उसे गले लगा कर कहा- हमारी योजना कामयाब हो गई ! तुम्हारे चक्कर का चक्कर चल गया और तुम्हारी माँ मुझसे चुदने के लिए तैयार है और रश्मि की चुदाई तुमसे करवाने के लिए तो वो कुछ भी करेगी। स्वामी जी ने क्या एक्टिंग की है, मज़ा आ गया।
रिशु, अरे इतनी बढ़िया योजना बनाई थी, फ्लॉप कैसे होती? चलो घर चलो और आगे की तैयारी करते हैं।
रास्ते से हमने एक दवा खरीदी और घर पहुँच कर मैंने रिशु को इशारा किया और वो अंदर चला गया।
मैंने कामिनी से कहा- चलिए आंटी, रिशु को सब समझा दिया है, थोडा नाराज़ था पर मैंने उसे समझा दिया कि यह बहुत जरूरी है। चलिए बेडरूम में चल कर आगे की बात करते हैं।
कामिनी- हाय, तुमने रिशु को बता दिया कि तुम मेरे साथ क्या करोगे?
अब वो घर पर है और हम सेक्स करेंगे तो उसे पता नहीं चलेगा? मैंने कहा।
और कामिनी को बेडरूम में ले जाकर दरवाजा बंद कर लिया।
कामिनी ने कहा- अभी यह करना जरूरी है? जब रिशु रश्मि से कर ले तब हम करेंगे।
मैंने कहा- अरे यार, रिशु तो कल रश्मि के साथ पहली बार करेगा। सुनो, तुम आज रात को मेरे घर फोन करना और रश्मि से कहना कि कल तुम्हारे यहाँ पूजा है और सारे लोग आ जायें। मम्मी पापा तीन दिन के लिए बाहर गए है तो रश्मि मेरे साथ यहाँ आएगी। तब तुम कह देना कि पंडित नहीं आया और पूजा रद्द हो गई। सबको फोन करके मना कर दिया पर हमारा फोन नहीं लग रहा था। फिर हम रश्मि को किसी न किसी तरीके उत्तेजित करके मना ही लेंगे और उसके बाद रिशु का काम हो जायेगा। कहो, मेरी जान ?
यह बोल कर मैंने कामिनी की साड़ी खोल दी और अब वो ब्लाउज और पेटीकोट में मेरे सामने खड़ी थी।
मैंने कहा- अरे आंटी, हीरे की कदर तो जौहरी ही जानता है। तो बताइए बात पक्की?
पक्की ! कामिनी बोली।
और मैंने प्यार से आंटी के एक होठों पर एक पप्पी ले ली।
उनके घर पहुँच कर मैंने गाड़ी रोकी और बोला- आंटी आप रिशु को बाहर भेज दीजिए ताकि उसे भी मैं समझा दूँ।
कामिनी बोली- उसे यह भी बताओगे क्या कि रश्मि के बदले तुम मुझसे सम्भोग करोगे?
जितना जरूरी होगा उतना ही बताऊँगा, आप उसे बाहर तो भेजिए।
कामिनी अंदर गई और रिशु बाहर आ गया। उसे गाड़ी में बिठा कर हम वहाँ से चल दिए थोड़ी दूर जाकर मैंने गाड़ी एक तरफ़ रोकी और उसे गले लगा कर कहा- हमारी योजना कामयाब हो गई ! तुम्हारे चक्कर का चक्कर चल गया और तुम्हारी माँ मुझसे चुदने के लिए तैयार है और रश्मि की चुदाई तुमसे करवाने के लिए तो वो कुछ भी करेगी। स्वामी जी ने क्या एक्टिंग की है, मज़ा आ गया।
रिशु, अरे इतनी बढ़िया योजना बनाई थी, फ्लॉप कैसे होती? चलो घर चलो और आगे की तैयारी करते हैं।
रास्ते से हमने एक दवा खरीदी और घर पहुँच कर मैंने रिशु को इशारा किया और वो अंदर चला गया।
मैंने कामिनी से कहा- चलिए आंटी, रिशु को सब समझा दिया है, थोडा नाराज़ था पर मैंने उसे समझा दिया कि यह बहुत जरूरी है। चलिए बेडरूम में चल कर आगे की बात करते हैं।
कामिनी- हाय, तुमने रिशु को बता दिया कि तुम मेरे साथ क्या करोगे?
अब वो घर पर है और हम सेक्स करेंगे तो उसे पता नहीं चलेगा? मैंने कहा।
और कामिनी को बेडरूम में ले जाकर दरवाजा बंद कर लिया।
कामिनी ने कहा- अभी यह करना जरूरी है? जब रिशु रश्मि से कर ले तब हम करेंगे।
मैंने कहा- अरे यार, रिशु तो कल रश्मि के साथ पहली बार करेगा। सुनो, तुम आज रात को मेरे घर फोन करना और रश्मि से कहना कि कल तुम्हारे यहाँ पूजा है और सारे लोग आ जायें। मम्मी पापा तीन दिन के लिए बाहर गए है तो रश्मि मेरे साथ यहाँ आएगी। तब तुम कह देना कि पंडित नहीं आया और पूजा रद्द हो गई। सबको फोन करके मना कर दिया पर हमारा फोन नहीं लग रहा था। फिर हम रश्मि को किसी न किसी तरीके उत्तेजित करके मना ही लेंगे और उसके बाद रिशु का काम हो जायेगा। कहो, मेरी जान ?
यह बोल कर मैंने कामिनी की साड़ी खोल दी और अब वो ब्लाउज और पेटीकोट में मेरे सामने खड़ी थी।
कामिनी- इतनी जल्दी आंटी से जान और आप से तुम पर आ गए? मानती हूँ पक्के बहनचोद हो ! आओ और अब मेरी प्यास बुझाओ !
मुझे उम्मीद नहीं थी कि कामिनी इतनी जल्दी खुल जायेगी ! पर उसके मुँह से गालियाँ सुन कर मजा आ गया।
लम्बी, गोरी चिट्टी कामिनी का भरा बदन, चौड़ी कमर, बाहर निकले उत्तेजक कूल्हे और ब्लाउज से बाहर झांकते बड़े-बड़े स्तन मेरे मन में हलचल मचाने लगे। मेरे मन में उनको नंगा देखने का ख्याल आने लगा। फिर हम दोनों बिस्तर पर लेट गए। कामिनी एकदम मुझ से लिपट गई, मुझे करंट सा लगा जब उनके स्तन मेरी छाती से छुए। उसकी एक टांग मेरे ऊपर थी। मैंने भी उसकी टांग पर एक पैर रख दिया और उसकी पीठ पर हाथ रखते हुए कहा- आओ मेरी जान !
कामिनी धीरे-धीरे मेरी बाहों में सिमटती जा रही थी और मुझे मजा आ रहा था। धीरे से मैंने उनके कूल्हों पर हाथ रखा और धीरे-धीरे सहलाने लगा।
कामिनी को मजा आ रहा था। फ़िर कामिनी सीधी लेट गई। अब मैं भी उससे चिपट गया और उसके वक्ष पर सिर रख लिया। मेरा लण्ड खड़ा हो चुका था। मैं धीरे धीरे उनका पेट और फ़िर जांघ सहलाने लगा।
तभी कामिनी ने अपने ब्लाउज के कुछ हुक खोल दिये यह कह कर कि बहुत गर्मी लग रही है। अब उनके चुचूक साफ़ नज़र आ रहे थे। मैंने चूचियों पर हाथ रख लिया और सहलाने लगा। मैंने उनकी चूचियाँ ब्लाउज से निकाल कर मुँह में ले लिया और दोनों हाथों से पकड़ कर मसलते हुए उनका पेटीकोट अपने पैर से ऊपर करना शुरु कर दिया। उसकी गोरी गोरी जांघों को देख कर मैं एकदम जोश में आ चुका था। उसकी चूत नशीली लग रही थी। मैंने उसकी चूत को चाटना शुरु कर दिया। मैं पागल हो चुका था। आज मेरा बहुत पुराना सपना पूरा होने वाला था।
मैंने अपने पैर कामिनी के सिर की तरफ़ कर लिये थे। कामिनी भी मेरा लण्ड निकाल कर चूसने लगी। वह मुझे भरपूर मजा दे रही थी। कुछ देर बाद कामिनी मेरे ऊपर आ गई और मैं नीचे से चूत चाटने के साथ साथ उनके गोरे और बड़े बड़े कूल्हे सहलाने लगा। कामिनी की चूत पानी छोड़ गई।
अब मैं और नहीं रह सकता था, मैं उठा और कामिनी को लिटा कर, उसकी टांगें चौड़ी करके चूत में लण्ड डाल दिया और कामिनी कराहने लगी। मैं जोर जोर से धक्के लगाने लगा। कामिनी ने मुझे कस कर पकड़ लिया और कहने लगी- मोनू ऐसे ही करो, बहुत मजा आ रहा है, आज मैं तुम्हारी हो गई, अब मुझे रोज़ तुम्हारा लण्ड अपनी चूत में चाहिये ! एएऊउ स्स स्सी स्स्स आह्ह्ह ह्म्म आय हां हां च्च उई म्म मा।
कुछ देर बाद मेरे लण्ड ने पानी छोड़ दिया और कामिनी भी कई बार डिस्चार्ज हो चुकी थी। उस दिन मैंने तीन बार अलग अलग आसनों से कामिनी को चोदा। कामिनी ने भी मस्त हो कर पूरा साथ दिया।
उसके बाद हमने कपड़े पहने और बाहर ड्राइंगरूम में आ गए, रिशु वहाँ टीवी देख रहा था, उसको देख कर कामिनी थोड़ा शरमा गई और मैंने घर का नंबर मिलाया और फोन कामिनी को दे दिया। फोन रश्मि ने उठाया और वही बात हुई जो तय हुई थी। रश्मि ने कह दिया कि वो कल दस बजे तक आ जायेगी।
मैंने कामिनी को चूम लिया तो रिशु मुस्कुराने लगा और मैं वहां से चला आया।
घर पहुँचा तो रश्मि बोली- भैया, कामिनी आंटी का फोन आया था कल सुबह दस बजे उनके यहाँ जाना है, पूजा है।
मैंने कहा- ठीक है ! नौ बजे तक तैयार हो जाना !
और मन ही मन सोचा कि पूजा तो तुम्हारी होगी, कल की जिंदगी भर नहीं भूलोगी।
अब रश्मि सिर्फ़ पैंटी में थी।
कामिनी ने रिशु को आँख से इशारा किया तो रिशु अपने हाथ रश्मि अगले दिन हम सुबह साढ़े नौ बजे घर से निकले और दस बजे रिशु के घर पहुँच गए।
अंदर गए तो रश्मि ने पूछा- आंटी, क्या हम लोग सबसे पहले आ गए हैं?
कामिनी- अरे नहीं, असल में पूजा रद्द हो गई क्योंकि पंडित जी बीमार हो गए ! सबको तो मैंने फोन करके मना कर दिया पर तुम्हारा फोन लग ही नहीं रहा था। अच्छा ही हुआ कि तुम आ गई, पहली बार आई हो इस घर में ! मोनू तो आता रहता हैं पर तुम तो शक्ल ही नहीं दिखाती। अब खाना खाकर ही जाना।
रश्मि- नहीं आंटी, ऐसी बात नहीं है ! पर कॉलेज के बाद समय ही नहीं मिलता।
अरे ऐसी भी क्या पढ़ाई ! यही तो उम्र है खेलने खाने की ! क्यों मोनू?
मैंने शरारत से कहा- जी, मैं तो खूब खेलता-खाता हूँ आप तो जानती ही हैं। रिशु कहाँ है?
कामिनी- नहा रहा है !
तब तक रिशु नहा कर आ गया और उसने सिर्फ एक तौलिया लपेट रखा था। उसको देख कर रश्मि शरमा गई तो रिशु बोला- अरे क्या दीदी, बचपन में हम दोनों नंगे खेलते थे और अभी तो तौलिया पहना है मैंने ! तब भी शरमा गई?
रश्मि बोली- हट बदमाश !
रिशु रश्मि के सामने इस प्रकार से बैठ गया कि उसका लण्ड रश्मि को नजर आता रहे। रश्मि की निगाहें भी बार बार उसके तौलिए के अन्दर उसके लण्ड पर जा रही थी और यह बात हम तीनों से छिपी नहीं थी।
कामिनी ने मुझसे पूछा- मोनू कोल्डड्रिंक या चाय?
मैंने कहा- चाय !
रिशु ने भी चाय माँगी तब कामिनी ने रश्मि से पूछा तो वो बोली- जब ये लोग चाय पियेंगे तो मैं भी वही ले लूंगी।
पाँच मिनट में चाय आ गई और हमने अपने अपने कप उठा लिए।
तभी रिशु किसी बहाने से उठा और रश्मि के पास गया। रिशु ने रश्मि के ऊपर अपनी चाय गिरा दी, योजना के अनुसार रिशु की चाय ज्यादा गर्म नहीं थी। और वो पूरी चाय से तरबतर हो गई।
कामिनी को मैंने इशारा किया और वो रिशु के ऊपर चिल्लाने लगी।
रिशु ने तुरंत रश्मि का टॉप खींच कर उतार दिया तो रश्मि अकस्मात हुए इस घटनाक्रम से स्तम्भित सी रह गई। जब उसे अपना होश आया तो वो अपने को रिशु से छुड़ाने का प्रयत्न करने लगी। तब तक कामिनी उनके पास पहुँच चुकी थी और कामिनी ने रश्मि को रिशु से छुड़वा कर अपनी बाहों में ले लिया, उसे बाथरूम में ले गई और उसके ऊपर शॉवर चला दिया।
हम दोनों भी बाथरूम में गए तो देखा कि कामिनी भी बिल्कुल भीग चुकी थी। कामिनी रश्मि की ब्रा भी उतार चुकी थी और उसके स्तनों को धोने के बहाने मसल रही थी, उसके चुचूकों से खेल रही थी।
रश्मि की यौनाग्नि प्रज्वलित हो चुकी थी और उसके आंखें मुंदी जा रही थी।
रिशु अन्दर गया और वो भी रश्मि के स्तन मसलने लगा। रिशु ने रश्मि की चूचियों पर हाथ फ़ेरते हुए पूछा- अब जलन तो नहीं हो रही?
इस पर कामिनी बोली- हाँ रश्मि बता दे ! अगर जलन हो रही है तो रिशु से बर्फ़ मंगवाऊँ?
मैं बोला- मैं लाता हूं बर्फ़ !
मैं बर्फ़ रसोई में जाकर फ़्रिज़ से बर्फ़ ले आया और रिशु और कामिनी दोनों उसकी चूचियों पर बर्फ़ फ़िराने लगे।
रश्मि सिहर गई और कहने लगी- नहीं आन्टी ! बहुत ठण्डी लग रही है।
तो मैं गर्म कर देता हूं ना चूस कर ! कह कर रिशु कुछ ही पलों में उसके स्तन चूसने लगा।
अरे तेरी जीन्स बिल्कुल भीग गई ! कहते हुए कामिनी रश्मि की जींस का बटन खोलने लगी और नीचे झुक कर उसकी जींस उसकी टांगों से अलग कर दी।
की पैन्टी पर ले गया और उसकी फ़ुद्दी पैंटी के ऊपर से ही सहलाने लगा। रश्मि ने कोई विरोध नहीं किया।
रश्मि अब पूरी गर्म हो चुकी थी और सीत्कार रही थी। फिर रिशु उसकी पैन्टी के अन्दर से हाथ डाल कर उसकी चूत के बालों पर हाथ फिराने लगा।
कामिनी ने अपने हाथ से रश्मि की पैंटी नीचे सरका दी और अब रिशु का हाथ उसकी नंगी योनि पर था।
इसी अवस्था में कामिनी और रिशु मिलकर रश्मि को कमरे में ले गए और बिस्तर पर लिटा दिया।
आँटी रिशु के गीले कपड़े उतारने लगी तो रिशु ने कहा- मम्मी, आप जाइए, मैं सम्भाल लूंगा।
कामिनी के जाने के बाद रिशु उसकी चूत के घने बालों पर हाथ फिराने लगा, फ़िर रिशु रश्मि की चूत की फांकों पर हाथ फिराने लगा। फिर हाथ फिराते-फिराते रिशु उंगलियों को रश्मि की चूत के फाँको में डाल कर रगड़ने लगा और अपनी एक उँगली रश्मि की चूत के अन्दर घुसा कर उसकी चूत को हल्के-हल्के रगड़ने लगा।
फिर उसकी चूत के जी-पॉयंट को अपनी उंगलियों से दबाने और हल्के-हल्के रगड़ने लगा। लगभग 5-7 मिनट बाद रश्मि की चूत से कुछ बहुत चिकना सा निकलने लगा।
अचानक रश्मि के मुँह से सिसकियाँ निकलने लगी और उसने अपनी आँखें खोल दी और काम-मद में बोली- रिशु क्या कर रहे हो?
रिशु ने कहा- बस सोचा कि आज अपनी रश्मि को कुछ मजा कराया जाये। सच बताओ, क्या मजा नहीं आ रहा हैं? मुझे पता है तुम मजे ले रही थी। वरना तुम्हारे नीचे से चिकना-चिकना सा नहीं निकलता।
रश्मि मुस्कुराई और बोली- सच रिशु, मुझे नहीं पता तुम क्या कर रहे थे पर मज़ा आ रहा था।
रिशु बोला- रश्मि, मेरा साथ दो। हम दोनों मिलकर खूब मजा करेंगे।
रश्मि बोली- क्या साथ दूँ और क्या दोनों मिलकर मजा करेंगे। और मेरी पैंटी क्यो उतार रखी है ?
रिशु ने कहा- रश्मि, मैं तुम्हारी पैंटी के अन्दर मजा ढूंढ रहा था !
कह कर रिशु ने उसे अपने सीने से चिपका लिया और फिर रिशु ने अपने जलते हुऐ होंठ रश्मि के होंठों पर रख दिए।
फिर रिशु उसके नरम-नरम होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसने लगा। रश्मि ने भी उसे अपनी बाँहो में कस लिया। वो बहुत गर्म हो चुकी थी, जोर-जोर से सिसकारियाँ ले रही थी, रिशु के बालों पर हाथ फेर रही थी और उसके होंठ चूस रही थी।
रिशु का लण्ड रश्मि की जांघों से रगड़ खा रहा था। रिशु ने रश्मि का हाथ पकड़ कर अपने लण्ड पर रख दिया। रश्मि ने बिना झिझके रिशु का लण्ड अपने हाथ में थाम लिया। वो लण्ड को अपने हाथ में दबाने लगी। रिशु का लण्ड तन कर और भी सख्त हो गया था। रश्मि लण्ड को मुठ्ठी में भर कर आगे-पीछे करने लगी। फिर वो रिशु का लण्ड पकड़ कर जोर-जोर से हिलाने लगी।
अब रिशु रश्मि की चूत मारने को बेताब हो रहा था। रिशु रश्मि के ऊपर आकर लेट गया। रश्मि का नंगा जिस्म रिशु के नंगे जिस्म के नीचे दब गया। रिशु का लण्ड रश्मि की जांघों के बीच में रगड़ खा रहा था।
रिशु उसके उपर लेट कर उसके चुचूक को चूसने लगा। वो बस सिसकारियाँ ले रही थी। फिर रिशु एक हाथ नीचे ले जा कर उसकी चूत पर रख कर रगड़ने लगा और फिर एक उंगली उसकी चूत में डाल दी। वो मछली की तरह छटपटाने लगी और अपने हाथों से रिशु का लण्ड को टटोलने लगी। रिशु का लण्ड पूरे जोश में आ गया था और पूरा तरह खड़ा हो कर लोहे जैसा सख्त हो गया था।
रश्मि रिशु के कान के पास फुसफसा कर बोली- ओह रिशु। प्लीज़ ! कुछ करो ना। तन-बदन में आग सी लग रही है।
यह सुन कर अब रिशु ने उसकी टांगें थोड़ी ओर चौड़ी की और उसके ऊपर चढ़ गया। फिर अपने लण्ड का सुपारा उसकी चूत पर रख कर रगड़ने लगा। फिर रिशु ने अपने लण्ड का सुपाड़ा उसकी चूत पर टिका कर एक जोरदार धक्का मारा जिससे लण्ड का सुपारा रश्मि की कुंवारी चूत को फाड़ता हुआ अन्दर चला गया। लण्ड के अन्दर जाते ही रश्मि के मुँह से चीख निकल गई और वो अपने हाथ पाँव बैड पर पटकने लगी और रिशु को अपने ऊपर से धकेलने की कोशिश करने लगी। लेकिन रिशु ने उसे कस कर पकड़ा था।
रश्मि की चीख सुन कर कामिनी अन्दर आ गई और सारा खेल देखने लगी।
Continued..................................
इस कहानी में मैं आपको बताऊँगा कि कैसे मैंने मेरी बड़ी बहन की चुदाई मेरे जिगरी दोस्त से करवाई।
मेरे दोस्त का नाम रिशु है और वह पहले मेरे पड़ोस में रहता था। हमारी दोस्ती बचपन की है। उसके घर पर उसके मम्मी पापा और वो खुद रहते है। हमारे घरेलू रिश्ते थे, मेरी दीदी उसको भी राखी बंधती थी और छोटा भाई समझती थी पर वो मेरी दीदी को चोदना चाहता था और मुझे उसकी मम्मी बहुत अच्छी लगती थी। हम समलैंगिक सम्बन्ध भी करते थे इसीलिए हम एक दूसरे से कुछ नहीं छुपाते थे।
उसके पापा का एक साल के लिए अचानक दिल्ली ट्रान्सफर हो जाने से अब वो और उसकी मम्मी ही वहाँ रहते है पर अब उन्होंने अपना घर मेरे घर से चार किलोमीटर की दूरी पर बनवा लिया है और कुछ दिन पहले वो वहाँ रहने चले गए हैं। मेरे घर पर भी मेरे मम्मी-पापा और मेरी बहन रश्मि रहते हैं। मेरे मम्मी-पापा दोनों नौकरी करते हैं और रश्मि कालेज में पढ़ती है। रश्मि की उम्र 19 साल है।
एक दिन मैं रिशु के घर गया तो उसकी माँ ने दरवाजा खोला और मुझे अंदर बुलाया।
मैंने उनसे पूछा- कामिनी आंटी, रिशु कहाँ है? कई दिनों से मिला ही नहीं और कालेज भी नहीं आ रहा है?
कामिनी- उसकी तो तबियत बहुत खराब है।
क्या हो गया आंटी? मैंने पूछा।
कामिनी- अब तुमसे क्या छिपाऊँ, जब से इस घर में आए हैं अचानक उसको दौरे पड़ने लगे हैं। वैसे तो एकदम ठीक रहता है पर अचानक चक्कर आ कर गिर पड़ता है।
तब तक रिशु भी आ गया। मैंने देखा तो दिखने से वो एकदम फिट लग रहा था।
मैंने उससे पूंछा कि आंटी क्या कह रही है? किसी डॉक्टर को दिखाया या नहीं?
रिशु- यार सभी बड़े डॉक्टरों को दिखा लिया, एक महीने से दवा खा रहा हूँ पर कुछ फर्क ही नहीं पड़ता है। अचानक चक्कर आ जाता है और एक से दो मिनट के लिए मैं बेहोश हो जाता हूँ। इसीलिए गाड़ी भी नहीं चला रहा और घर से बाहर भी नहीं जा रहा हूँ।
मैंने आंटी से कहा- आप मेरे साथ चलिए और रिशु की कुंडली ले लीजिए। मेरे एक गुरु जी है जो ज्योतिष के अच्छे जानकार है और कई लोगों की मदद कर चुके हैं। वो बता सकते हैं कि रिशु को क्या दिक्कत है।
आंटी भी साधू लोगों को बहुत मानती थी तो वो उसी समय मेरे साथ चल दी। रिशु को हमने घर पर ही छोड़ दिया कि कहीं रास्ते में तबियत न खराब हो जाये। गुरु जी के आश्रम पहुँच कर हमने अपने आने की खबर करवाई।
काफी भीड़ होने के बावजूद गुरु जी ने हमें पहले ही बुलवा लिया।
गुरु जी- आओ बेटा मोनू, सब कुशल मंगल तो है?
मैंने बताया- नहीं गुरु जी, ये मेरे दोस्त की माता जी हैं। अचानक मेरे दोस्त को दौरे पड़ने लगे हैं जिससे हम बहुत परेशान हैं।
गुरु जी- क्या नाम है बेटी तुम्हारे पुत्र का?
कामिनी- जी रिशु !
गुरु जी- अरे बहुत ही सुन्दर और गुणी बालक है, कई बार मोनू के घर पर उससे मुलाकात हो चुकी है मेरी।
कामिनी- जी कई डॉक्टरों को दिखाया पर कुछ नहीं हुआ, अब तो आपका की सहारा है।
गुरु जी- बेटी तुम पुत्र की जन्म कुंडली ली हो क्या?
कामिनी- जी महाराज, यह लीजिये !
यह कह कर कामिनी ने रिशु की कुंडली स्वामी जी को दे दी। करीब एक घंटे तक स्वामी जी ने उसको पढ़ा-देखा
गुरु जी- बेटी, अब तक जीवन में मैंने ऐसा दोष नहीं देखा। इसका ठीक होना असंभव है।
यह सुन कर कामिनी आंटी जोर से रोने लगी और कहने लगी- नहीं महाराज, ऐसे मत कहिये, रिशु मेरा एक ही बेटा है, उसके लिए जो भी करना होगा वो मैं करूंगी पर आप मुझे निराश न करें।
गुरु जी- धीरज रखो बेटी !
कामिनी- नहीं महाराज, अब अगर मेरा बेटा ठीक नहीं हुआ तो मैं अपनी जान दे दूँगी।
गुरु जी- मोनू बेटा, तुम जरा बाहर जाओ, मुझे कामिनी से अकेले में कुछ बात करनी है।
मैं उठ कर बाहर आ गया और दरवाजे से कान लगा कर खड़ा हो गया।
अंदर गुरु जी आंटी से कह रहे थे- देखो बेटी, मैं वैसे तो यह उपाय बताने वाला नहीं था पर तुम्हारी हालत मुझे मजबूर कर रही है। पर यह उपाय भी आसान नहीं है और धर्म संगत भी नहीं है।
कामिनी- ऐसी क्या बात है स्वामी जी?
गुरु जी- बेटी, रिशु की कुंडली में एक भयानक दोष है जो सिर्फ एक हालत मैं ही हट सकता है। मुझसे तो कहा भी नहीं जा रहा।
कामिनी: बताइए स्वामी जी। जो भी उपाय होगा मैं करने के लिए तैयार हूँ।
गुरु जी- बेटी, रिशु एक ही दशा मैं ठीक हो सकता है। यदि वो एक ही सप्ताह के भीतर किसी अविवाहित कुंवारी ब्राह्मण कन्या से तीन बार सम्भोग करे।
यह सुन कर मुझे तो झटका लग गया और आंटी भी चौंक गई।
यह आप क्या कह रहे है गुरु जी? इस बात की संबावना तो बहुत कम है की कोई ब्राह्मण अपनी बेटी की शादी रिशु से करे जबकि हम ब्राह्मण नहीं हैं। कामिनी बोली।
गुरु जी- मैंने कहा है अविवाहित कन्या ! यह नहीं कहा कि उसका रिशु से विवाह हो, यदि विवाह हो गया तो वो कन्या भी कायस्थ हो जायेगी और यह उपाय विफल हो जायेगा। साथ ही इस बात का ध्यान भी रखना होगा कि पहले सम्भोग के वक्त उसकी योनि अक्षत हो और कन्या के मासिकधर्म होते हों अर्थात आयु 16 वर्ष से अधिक हो और पूरे सप्ताह वो सिर्फ रिशु के साथ ही सम्भोग करे किसी और के साथ नहीं ! और कम से कम तीन बार सम्भोग करे ही।
इस उपाय के बाद रिशु चाहे तो उस कन्या से विवाह कर सकता है।
मुझे तो यह असंभव लगता है, भला कौन लड़की तैयार होगी इस तरह से ! और जो किसी लालच में तैयार हो जायेगी तो वो कुंवारी तो नहीं ही होगी। वैसे भी आज कल तो लड़कियाँ 13-14 की उम्र में ही अपना कुंवारापन खो देती हैं। कामिनी ने कहा।
गुरु जी ने कहा- जरूरी नहीं कि कन्या तैयार हो, बात सम्भोग की है प्रेम की नहीं। और मैंने कहा ही था कि उपाय कठिन है। पर इसके सिवाय कोई दूसरा रास्ता नहीं है। और अगर रिशु इस बीमारी से निकल जाता है तो 80 वर्ष का आरोग्य जीवन होगा।
यह सुन कर कामिनी आंटी ने गुरु जी को प्रणाम किया और बाहर आ गई। हम वापस घर चल पड़े। इतनी देर में मैंने अपनी योजना बनाई और अनजान बनते हुए आंटी से पूछा- स्वामी जी ने क्या कहा और आप इतनी परेशान क्यों हैं?
तो कामिनी आंटी ने मुझसे कहा- बात तुम्हारे लायक नहीं है। अभी तुम छोटे हो।
मैंने कहा- आंटी आप मुझे नहीं बताना चाहती तो कोई बात नहीं ! पर मैंने सब कुछ सुन लिया है।
कामिनी- जब तुमने सब कुछ अपने कानों से सुन लिया है तो मुझसे क्या पूछ रहे हो? स्वामी जी ने जो कहा है वो तो हो नहीं सकता।
मैंने कहा- आंटी, इतनी जल्दी हार नहीं मानिए, मैं काफी देर से यही सोच रहा था कि आपके घर जो काम वाली है वो तो ब्राह्मण है और उसकी बेटी अभी 16 साल की ही होगी। अगर उसको पाँच दस हजार रुपये दे दिए जायें तो वो शायद तैयार हो जाये?
कामिनी- अरे वो कुंवारी नहीं है, जब 15 साल की थी तभी एक लौंडे के साथ भाग गई थी। 4 महीने बाद लौट कर घर आई थी और मान लो कि अगर वो कुँवारी होती भी तो कौन सी माँ मान जायेगी। तुम भी तो ब्राह्मण हो, तुम्हीं कोई लड़की बताओ। अरे अगर कोई तुम्हें दस हजार रुपये दे तो क्या तुम अपने घर की लड़की किसी को दे दोगे?
मैंने कहा- आंटी, आप तो नाराज़ हो रही हैं ! रिशु को मैं अपने भाई से बढ़कर मानता हूँ और जरूरत पड़े तो रश्मि को भी इस काम के लिए दे सकता हूँ और वो भी बिना किसी पैसे के।
मेरी बात सुन कर कामिनी के तो होश ही उड़ गए, वो बोली- सच मोनू, अगर यह तुम सच कह रहे हो तो तुम रिशु को वाकई भाई मानते हो और रश्मि है तो 18 की पर इतनी सीधी है कि पक्का कुँवारी ही होगी। तुम अगर ऐसा कर दोगे तो मैं तुम्हारा एहसान जिंदगी भर नहीं भूलूंगी और रश्मि की शादी भी रिशु से कर दूँगी। पर रश्मि तैयार हो जायेगी?
मैंने कहा- देखिये स्वामी जी ने कहा था कि सम्भोग बिना कन्या की स्वीकृति से भी हो सकता है। और दूसरी बात मेरे घर वाले नहीं मानेगे कि उसकी शादी किसी गैर ब्राह्मण के यहाँ हो इसीलिए मुझे इस बात का वादा चाहिए कि यह बात बाहर नहीं जायेगी ताकि रश्मि की बदनामी न हो।
कामिनी- मैं जबान देती हूँ !
जबान से काम नहीं चलेगा, आज हमारे सम्बन्ध अच्छे है कल कौन जाने क्या हो जाये? आप कुछ नहीं कहेगी पर अगर मेरी रिशु से लड़ाई हो जाये और वो सबको बोल दे? मैंने कहा।
कामिनी- तो तुम क्या चाहते हो?
देखिए, मेरी सगी बहन की इज्जत का सवाल है तो दूसरी तरफ रिशु की भी किसी सगी रिश्तेदार का सवाल होना चाहिए।
कामिनी- देखो मोनू, अगर मेरे कोई बेटी होती तो मैं उसे तुम्हारे हवाले कर देती, पर मेरा एक ही बेटा है रिशु !
बेटी न सही माँ ही सही ! मैंने कहा।
मेरी बात सुन कर कामिनी चौंक गई। मैं कहा चौकिये मत आंटी जी, देखिये अगर रश्मि के साथ रिशु ने सम्भोग किया और आपने मेरे साथ तो ना मैं किसी से कहूँगा ना आप लोग। रिशु की बीमारी भी ठीक हो जायेगी और मेरी चिंता भी दूर हो जायेगी जो मुझे रश्मि की बदनामी को लेकर है। अरे, अब सोच क्या रही हैं, मैं अपने दोस्त के लिए अपनी सगी बहन की क़ुरबानी दे सकता हूँ और आप अपने इकलौते बेटे के लिए अपनी क़ुरबानी नहीं दे सकती?
कामिनी बोली- मैं यह नहीं सोच रही हूँ ! क्योंकि मेरे पास तैयार होने के अलावा कोई रास्ता नहीं है। बल्कि यह सोच रही हूँ कि तुम्हें एक 37 साल की औरत में इतनी दिलचस्पी क्यों है?
मैंने कहा- अरे आंटी, हीरे की कदर तो जौहरी ही जानता है। तो बताइए बात पक्की?
पक्की ! कामिनी बोली।
और मैंने प्यार से आंटी के एक होठों पर एक पप्पी ले ली।
उनके घर पहुँच कर मैंने गाड़ी रोकी और बोला- आंटी आप रिशु को बाहर भेज दीजिए ताकि उसे भी मैं समझा दूँ।
कामिनी बोली- उसे यह भी बताओगे क्या कि रश्मि के बदले तुम मुझसे सम्भोग करोगे?
जितना जरूरी होगा उतना ही बताऊँगा, आप उसे बाहर तो भेजिए।
कामिनी अंदर गई और रिशु बाहर आ गया। उसे गाड़ी में बिठा कर हम वहाँ से चल दिए थोड़ी दूर जाकर मैंने गाड़ी एक तरफ़ रोकी और उसे गले लगा कर कहा- हमारी योजना कामयाब हो गई ! तुम्हारे चक्कर का चक्कर चल गया और तुम्हारी माँ मुझसे चुदने के लिए तैयार है और रश्मि की चुदाई तुमसे करवाने के लिए तो वो कुछ भी करेगी। स्वामी जी ने क्या एक्टिंग की है, मज़ा आ गया।
रिशु, अरे इतनी बढ़िया योजना बनाई थी, फ्लॉप कैसे होती? चलो घर चलो और आगे की तैयारी करते हैं।
रास्ते से हमने एक दवा खरीदी और घर पहुँच कर मैंने रिशु को इशारा किया और वो अंदर चला गया।
मैंने कामिनी से कहा- चलिए आंटी, रिशु को सब समझा दिया है, थोडा नाराज़ था पर मैंने उसे समझा दिया कि यह बहुत जरूरी है। चलिए बेडरूम में चल कर आगे की बात करते हैं।
कामिनी- हाय, तुमने रिशु को बता दिया कि तुम मेरे साथ क्या करोगे?
अब वो घर पर है और हम सेक्स करेंगे तो उसे पता नहीं चलेगा? मैंने कहा।
और कामिनी को बेडरूम में ले जाकर दरवाजा बंद कर लिया।
कामिनी ने कहा- अभी यह करना जरूरी है? जब रिशु रश्मि से कर ले तब हम करेंगे।
मैंने कहा- अरे यार, रिशु तो कल रश्मि के साथ पहली बार करेगा। सुनो, तुम आज रात को मेरे घर फोन करना और रश्मि से कहना कि कल तुम्हारे यहाँ पूजा है और सारे लोग आ जायें। मम्मी पापा तीन दिन के लिए बाहर गए है तो रश्मि मेरे साथ यहाँ आएगी। तब तुम कह देना कि पंडित नहीं आया और पूजा रद्द हो गई। सबको फोन करके मना कर दिया पर हमारा फोन नहीं लग रहा था। फिर हम रश्मि को किसी न किसी तरीके उत्तेजित करके मना ही लेंगे और उसके बाद रिशु का काम हो जायेगा। कहो, मेरी जान ?
यह बोल कर मैंने कामिनी की साड़ी खोल दी और अब वो ब्लाउज और पेटीकोट में मेरे सामने खड़ी थी।
मैंने कहा- अरे आंटी, हीरे की कदर तो जौहरी ही जानता है। तो बताइए बात पक्की?
पक्की ! कामिनी बोली।
और मैंने प्यार से आंटी के एक होठों पर एक पप्पी ले ली।
उनके घर पहुँच कर मैंने गाड़ी रोकी और बोला- आंटी आप रिशु को बाहर भेज दीजिए ताकि उसे भी मैं समझा दूँ।
कामिनी बोली- उसे यह भी बताओगे क्या कि रश्मि के बदले तुम मुझसे सम्भोग करोगे?
जितना जरूरी होगा उतना ही बताऊँगा, आप उसे बाहर तो भेजिए।
कामिनी अंदर गई और रिशु बाहर आ गया। उसे गाड़ी में बिठा कर हम वहाँ से चल दिए थोड़ी दूर जाकर मैंने गाड़ी एक तरफ़ रोकी और उसे गले लगा कर कहा- हमारी योजना कामयाब हो गई ! तुम्हारे चक्कर का चक्कर चल गया और तुम्हारी माँ मुझसे चुदने के लिए तैयार है और रश्मि की चुदाई तुमसे करवाने के लिए तो वो कुछ भी करेगी। स्वामी जी ने क्या एक्टिंग की है, मज़ा आ गया।
रिशु, अरे इतनी बढ़िया योजना बनाई थी, फ्लॉप कैसे होती? चलो घर चलो और आगे की तैयारी करते हैं।
रास्ते से हमने एक दवा खरीदी और घर पहुँच कर मैंने रिशु को इशारा किया और वो अंदर चला गया।
मैंने कामिनी से कहा- चलिए आंटी, रिशु को सब समझा दिया है, थोडा नाराज़ था पर मैंने उसे समझा दिया कि यह बहुत जरूरी है। चलिए बेडरूम में चल कर आगे की बात करते हैं।
कामिनी- हाय, तुमने रिशु को बता दिया कि तुम मेरे साथ क्या करोगे?
अब वो घर पर है और हम सेक्स करेंगे तो उसे पता नहीं चलेगा? मैंने कहा।
और कामिनी को बेडरूम में ले जाकर दरवाजा बंद कर लिया।
कामिनी ने कहा- अभी यह करना जरूरी है? जब रिशु रश्मि से कर ले तब हम करेंगे।
मैंने कहा- अरे यार, रिशु तो कल रश्मि के साथ पहली बार करेगा। सुनो, तुम आज रात को मेरे घर फोन करना और रश्मि से कहना कि कल तुम्हारे यहाँ पूजा है और सारे लोग आ जायें। मम्मी पापा तीन दिन के लिए बाहर गए है तो रश्मि मेरे साथ यहाँ आएगी। तब तुम कह देना कि पंडित नहीं आया और पूजा रद्द हो गई। सबको फोन करके मना कर दिया पर हमारा फोन नहीं लग रहा था। फिर हम रश्मि को किसी न किसी तरीके उत्तेजित करके मना ही लेंगे और उसके बाद रिशु का काम हो जायेगा। कहो, मेरी जान ?
यह बोल कर मैंने कामिनी की साड़ी खोल दी और अब वो ब्लाउज और पेटीकोट में मेरे सामने खड़ी थी।
कामिनी- इतनी जल्दी आंटी से जान और आप से तुम पर आ गए? मानती हूँ पक्के बहनचोद हो ! आओ और अब मेरी प्यास बुझाओ !
मुझे उम्मीद नहीं थी कि कामिनी इतनी जल्दी खुल जायेगी ! पर उसके मुँह से गालियाँ सुन कर मजा आ गया।
लम्बी, गोरी चिट्टी कामिनी का भरा बदन, चौड़ी कमर, बाहर निकले उत्तेजक कूल्हे और ब्लाउज से बाहर झांकते बड़े-बड़े स्तन मेरे मन में हलचल मचाने लगे। मेरे मन में उनको नंगा देखने का ख्याल आने लगा। फिर हम दोनों बिस्तर पर लेट गए। कामिनी एकदम मुझ से लिपट गई, मुझे करंट सा लगा जब उनके स्तन मेरी छाती से छुए। उसकी एक टांग मेरे ऊपर थी। मैंने भी उसकी टांग पर एक पैर रख दिया और उसकी पीठ पर हाथ रखते हुए कहा- आओ मेरी जान !
कामिनी धीरे-धीरे मेरी बाहों में सिमटती जा रही थी और मुझे मजा आ रहा था। धीरे से मैंने उनके कूल्हों पर हाथ रखा और धीरे-धीरे सहलाने लगा।
कामिनी को मजा आ रहा था। फ़िर कामिनी सीधी लेट गई। अब मैं भी उससे चिपट गया और उसके वक्ष पर सिर रख लिया। मेरा लण्ड खड़ा हो चुका था। मैं धीरे धीरे उनका पेट और फ़िर जांघ सहलाने लगा।
तभी कामिनी ने अपने ब्लाउज के कुछ हुक खोल दिये यह कह कर कि बहुत गर्मी लग रही है। अब उनके चुचूक साफ़ नज़र आ रहे थे। मैंने चूचियों पर हाथ रख लिया और सहलाने लगा। मैंने उनकी चूचियाँ ब्लाउज से निकाल कर मुँह में ले लिया और दोनों हाथों से पकड़ कर मसलते हुए उनका पेटीकोट अपने पैर से ऊपर करना शुरु कर दिया। उसकी गोरी गोरी जांघों को देख कर मैं एकदम जोश में आ चुका था। उसकी चूत नशीली लग रही थी। मैंने उसकी चूत को चाटना शुरु कर दिया। मैं पागल हो चुका था। आज मेरा बहुत पुराना सपना पूरा होने वाला था।
मैंने अपने पैर कामिनी के सिर की तरफ़ कर लिये थे। कामिनी भी मेरा लण्ड निकाल कर चूसने लगी। वह मुझे भरपूर मजा दे रही थी। कुछ देर बाद कामिनी मेरे ऊपर आ गई और मैं नीचे से चूत चाटने के साथ साथ उनके गोरे और बड़े बड़े कूल्हे सहलाने लगा। कामिनी की चूत पानी छोड़ गई।
अब मैं और नहीं रह सकता था, मैं उठा और कामिनी को लिटा कर, उसकी टांगें चौड़ी करके चूत में लण्ड डाल दिया और कामिनी कराहने लगी। मैं जोर जोर से धक्के लगाने लगा। कामिनी ने मुझे कस कर पकड़ लिया और कहने लगी- मोनू ऐसे ही करो, बहुत मजा आ रहा है, आज मैं तुम्हारी हो गई, अब मुझे रोज़ तुम्हारा लण्ड अपनी चूत में चाहिये ! एएऊउ स्स स्सी स्स्स आह्ह्ह ह्म्म आय हां हां च्च उई म्म मा।
कुछ देर बाद मेरे लण्ड ने पानी छोड़ दिया और कामिनी भी कई बार डिस्चार्ज हो चुकी थी। उस दिन मैंने तीन बार अलग अलग आसनों से कामिनी को चोदा। कामिनी ने भी मस्त हो कर पूरा साथ दिया।
उसके बाद हमने कपड़े पहने और बाहर ड्राइंगरूम में आ गए, रिशु वहाँ टीवी देख रहा था, उसको देख कर कामिनी थोड़ा शरमा गई और मैंने घर का नंबर मिलाया और फोन कामिनी को दे दिया। फोन रश्मि ने उठाया और वही बात हुई जो तय हुई थी। रश्मि ने कह दिया कि वो कल दस बजे तक आ जायेगी।
मैंने कामिनी को चूम लिया तो रिशु मुस्कुराने लगा और मैं वहां से चला आया।
घर पहुँचा तो रश्मि बोली- भैया, कामिनी आंटी का फोन आया था कल सुबह दस बजे उनके यहाँ जाना है, पूजा है।
मैंने कहा- ठीक है ! नौ बजे तक तैयार हो जाना !
और मन ही मन सोचा कि पूजा तो तुम्हारी होगी, कल की जिंदगी भर नहीं भूलोगी।
अब रश्मि सिर्फ़ पैंटी में थी।
कामिनी ने रिशु को आँख से इशारा किया तो रिशु अपने हाथ रश्मि अगले दिन हम सुबह साढ़े नौ बजे घर से निकले और दस बजे रिशु के घर पहुँच गए।
अंदर गए तो रश्मि ने पूछा- आंटी, क्या हम लोग सबसे पहले आ गए हैं?
कामिनी- अरे नहीं, असल में पूजा रद्द हो गई क्योंकि पंडित जी बीमार हो गए ! सबको तो मैंने फोन करके मना कर दिया पर तुम्हारा फोन लग ही नहीं रहा था। अच्छा ही हुआ कि तुम आ गई, पहली बार आई हो इस घर में ! मोनू तो आता रहता हैं पर तुम तो शक्ल ही नहीं दिखाती। अब खाना खाकर ही जाना।
रश्मि- नहीं आंटी, ऐसी बात नहीं है ! पर कॉलेज के बाद समय ही नहीं मिलता।
अरे ऐसी भी क्या पढ़ाई ! यही तो उम्र है खेलने खाने की ! क्यों मोनू?
मैंने शरारत से कहा- जी, मैं तो खूब खेलता-खाता हूँ आप तो जानती ही हैं। रिशु कहाँ है?
कामिनी- नहा रहा है !
तब तक रिशु नहा कर आ गया और उसने सिर्फ एक तौलिया लपेट रखा था। उसको देख कर रश्मि शरमा गई तो रिशु बोला- अरे क्या दीदी, बचपन में हम दोनों नंगे खेलते थे और अभी तो तौलिया पहना है मैंने ! तब भी शरमा गई?
रश्मि बोली- हट बदमाश !
रिशु रश्मि के सामने इस प्रकार से बैठ गया कि उसका लण्ड रश्मि को नजर आता रहे। रश्मि की निगाहें भी बार बार उसके तौलिए के अन्दर उसके लण्ड पर जा रही थी और यह बात हम तीनों से छिपी नहीं थी।
कामिनी ने मुझसे पूछा- मोनू कोल्डड्रिंक या चाय?
मैंने कहा- चाय !
रिशु ने भी चाय माँगी तब कामिनी ने रश्मि से पूछा तो वो बोली- जब ये लोग चाय पियेंगे तो मैं भी वही ले लूंगी।
पाँच मिनट में चाय आ गई और हमने अपने अपने कप उठा लिए।
तभी रिशु किसी बहाने से उठा और रश्मि के पास गया। रिशु ने रश्मि के ऊपर अपनी चाय गिरा दी, योजना के अनुसार रिशु की चाय ज्यादा गर्म नहीं थी। और वो पूरी चाय से तरबतर हो गई।
कामिनी को मैंने इशारा किया और वो रिशु के ऊपर चिल्लाने लगी।
रिशु ने तुरंत रश्मि का टॉप खींच कर उतार दिया तो रश्मि अकस्मात हुए इस घटनाक्रम से स्तम्भित सी रह गई। जब उसे अपना होश आया तो वो अपने को रिशु से छुड़ाने का प्रयत्न करने लगी। तब तक कामिनी उनके पास पहुँच चुकी थी और कामिनी ने रश्मि को रिशु से छुड़वा कर अपनी बाहों में ले लिया, उसे बाथरूम में ले गई और उसके ऊपर शॉवर चला दिया।
हम दोनों भी बाथरूम में गए तो देखा कि कामिनी भी बिल्कुल भीग चुकी थी। कामिनी रश्मि की ब्रा भी उतार चुकी थी और उसके स्तनों को धोने के बहाने मसल रही थी, उसके चुचूकों से खेल रही थी।
रश्मि की यौनाग्नि प्रज्वलित हो चुकी थी और उसके आंखें मुंदी जा रही थी।
रिशु अन्दर गया और वो भी रश्मि के स्तन मसलने लगा। रिशु ने रश्मि की चूचियों पर हाथ फ़ेरते हुए पूछा- अब जलन तो नहीं हो रही?
इस पर कामिनी बोली- हाँ रश्मि बता दे ! अगर जलन हो रही है तो रिशु से बर्फ़ मंगवाऊँ?
मैं बोला- मैं लाता हूं बर्फ़ !
मैं बर्फ़ रसोई में जाकर फ़्रिज़ से बर्फ़ ले आया और रिशु और कामिनी दोनों उसकी चूचियों पर बर्फ़ फ़िराने लगे।
रश्मि सिहर गई और कहने लगी- नहीं आन्टी ! बहुत ठण्डी लग रही है।
तो मैं गर्म कर देता हूं ना चूस कर ! कह कर रिशु कुछ ही पलों में उसके स्तन चूसने लगा।
अरे तेरी जीन्स बिल्कुल भीग गई ! कहते हुए कामिनी रश्मि की जींस का बटन खोलने लगी और नीचे झुक कर उसकी जींस उसकी टांगों से अलग कर दी।
की पैन्टी पर ले गया और उसकी फ़ुद्दी पैंटी के ऊपर से ही सहलाने लगा। रश्मि ने कोई विरोध नहीं किया।
रश्मि अब पूरी गर्म हो चुकी थी और सीत्कार रही थी। फिर रिशु उसकी पैन्टी के अन्दर से हाथ डाल कर उसकी चूत के बालों पर हाथ फिराने लगा।
कामिनी ने अपने हाथ से रश्मि की पैंटी नीचे सरका दी और अब रिशु का हाथ उसकी नंगी योनि पर था।
इसी अवस्था में कामिनी और रिशु मिलकर रश्मि को कमरे में ले गए और बिस्तर पर लिटा दिया।
आँटी रिशु के गीले कपड़े उतारने लगी तो रिशु ने कहा- मम्मी, आप जाइए, मैं सम्भाल लूंगा।
कामिनी के जाने के बाद रिशु उसकी चूत के घने बालों पर हाथ फिराने लगा, फ़िर रिशु रश्मि की चूत की फांकों पर हाथ फिराने लगा। फिर हाथ फिराते-फिराते रिशु उंगलियों को रश्मि की चूत के फाँको में डाल कर रगड़ने लगा और अपनी एक उँगली रश्मि की चूत के अन्दर घुसा कर उसकी चूत को हल्के-हल्के रगड़ने लगा।
फिर उसकी चूत के जी-पॉयंट को अपनी उंगलियों से दबाने और हल्के-हल्के रगड़ने लगा। लगभग 5-7 मिनट बाद रश्मि की चूत से कुछ बहुत चिकना सा निकलने लगा।
अचानक रश्मि के मुँह से सिसकियाँ निकलने लगी और उसने अपनी आँखें खोल दी और काम-मद में बोली- रिशु क्या कर रहे हो?
रिशु ने कहा- बस सोचा कि आज अपनी रश्मि को कुछ मजा कराया जाये। सच बताओ, क्या मजा नहीं आ रहा हैं? मुझे पता है तुम मजे ले रही थी। वरना तुम्हारे नीचे से चिकना-चिकना सा नहीं निकलता।
रश्मि मुस्कुराई और बोली- सच रिशु, मुझे नहीं पता तुम क्या कर रहे थे पर मज़ा आ रहा था।
रिशु बोला- रश्मि, मेरा साथ दो। हम दोनों मिलकर खूब मजा करेंगे।
रश्मि बोली- क्या साथ दूँ और क्या दोनों मिलकर मजा करेंगे। और मेरी पैंटी क्यो उतार रखी है ?
रिशु ने कहा- रश्मि, मैं तुम्हारी पैंटी के अन्दर मजा ढूंढ रहा था !
कह कर रिशु ने उसे अपने सीने से चिपका लिया और फिर रिशु ने अपने जलते हुऐ होंठ रश्मि के होंठों पर रख दिए।
फिर रिशु उसके नरम-नरम होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसने लगा। रश्मि ने भी उसे अपनी बाँहो में कस लिया। वो बहुत गर्म हो चुकी थी, जोर-जोर से सिसकारियाँ ले रही थी, रिशु के बालों पर हाथ फेर रही थी और उसके होंठ चूस रही थी।
रिशु का लण्ड रश्मि की जांघों से रगड़ खा रहा था। रिशु ने रश्मि का हाथ पकड़ कर अपने लण्ड पर रख दिया। रश्मि ने बिना झिझके रिशु का लण्ड अपने हाथ में थाम लिया। वो लण्ड को अपने हाथ में दबाने लगी। रिशु का लण्ड तन कर और भी सख्त हो गया था। रश्मि लण्ड को मुठ्ठी में भर कर आगे-पीछे करने लगी। फिर वो रिशु का लण्ड पकड़ कर जोर-जोर से हिलाने लगी।
अब रिशु रश्मि की चूत मारने को बेताब हो रहा था। रिशु रश्मि के ऊपर आकर लेट गया। रश्मि का नंगा जिस्म रिशु के नंगे जिस्म के नीचे दब गया। रिशु का लण्ड रश्मि की जांघों के बीच में रगड़ खा रहा था।
रिशु उसके उपर लेट कर उसके चुचूक को चूसने लगा। वो बस सिसकारियाँ ले रही थी। फिर रिशु एक हाथ नीचे ले जा कर उसकी चूत पर रख कर रगड़ने लगा और फिर एक उंगली उसकी चूत में डाल दी। वो मछली की तरह छटपटाने लगी और अपने हाथों से रिशु का लण्ड को टटोलने लगी। रिशु का लण्ड पूरे जोश में आ गया था और पूरा तरह खड़ा हो कर लोहे जैसा सख्त हो गया था।
रश्मि रिशु के कान के पास फुसफसा कर बोली- ओह रिशु। प्लीज़ ! कुछ करो ना। तन-बदन में आग सी लग रही है।
यह सुन कर अब रिशु ने उसकी टांगें थोड़ी ओर चौड़ी की और उसके ऊपर चढ़ गया। फिर अपने लण्ड का सुपारा उसकी चूत पर रख कर रगड़ने लगा। फिर रिशु ने अपने लण्ड का सुपाड़ा उसकी चूत पर टिका कर एक जोरदार धक्का मारा जिससे लण्ड का सुपारा रश्मि की कुंवारी चूत को फाड़ता हुआ अन्दर चला गया। लण्ड के अन्दर जाते ही रश्मि के मुँह से चीख निकल गई और वो अपने हाथ पाँव बैड पर पटकने लगी और रिशु को अपने ऊपर से धकेलने की कोशिश करने लगी। लेकिन रिशु ने उसे कस कर पकड़ा था।
रश्मि की चीख सुन कर कामिनी अन्दर आ गई और सारा खेल देखने लगी।
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