Tuesday 10 March 2015
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How I enjoyed in Jabalpur

मैं जबलपुर का रहने वाला हूँ।और मै यूनिवर्सिटी से बी कॉम कर रहा हूँ, मेरी उम्र २२ साल है, एक दिन हमारे कॉलेज की एक बहुत ही सुंदर लड़की जिसका नाम कविता रॉय है, से मेरी दोस्ती हो गई।कविता गोरे रंग की सुन्दर और सेक्सी लड़की है। वो कटनी की रहने वाली है। कुछ ही दिन बाद मेरा जन्म-दिन था, मैंने उसे और अपने कुछ दोस्तों को पार्टी के लिए इन्वाइट किया।वो ०३ अगस्त का दिन था। वो जब आई, तो आते ही उसने मुझे ‘विश’ किया।

फिर हम सबने साथ में लंच किया। उसके बाद मैंने उसे ड्रिंक के लिए ऑफर किया, तो उसने वोडका के लिए बोला।हम सबने ड्रिंक की, ड्रिंक करने के बाद मैंने उसकी आँखों में एक अजीब सा नशा देखा फिर हमने बहुत देर तक मस्ती की,उसके बाद वो घर चली गई l

रात को उसका एसएमएस आया- कल क्या कर रहे हो?

तो मैंने रिप्लाई दिया- कल तो मैं फ्री हूँ…!

तो उसने कहा- मैं भी फ्री हूँ…!

तो मैंने कहा- कल साथ में टाइम बिताते हैं..!

उसने ‘हाँ’ बोल दिया।

मैं अगले दिन अपनी बाईक से उसे ले कर भेडाघाट घूमने के लिए चला गया। वही हमने साथ में लंच किया।वहाँ की खुली वादियों में उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली- मुझे तुम्हारे साथ बहुत अच्छा लगता है।और मैं तुम्हें बहुत पसन्द करने लगी हूँ।

तो मैंने कहा- पसन्द तो मैं भी तुम्हें करने लगा हूँ।

उसके बाद हमने वहाँ एक कमरा बुक किया और मैंने वंहा तीन बीयर मंगा ली साथ ही कुछ नमकीन भी ,,और बीयर खोल दी। हमनें तीन बीयर पी और कविता को नशा सा होने लगा था। वो बिल्कुल मुझसे चिपक कर बैठी थी। कविता ने मेरे गाल पर चुम्बन किया।मैंने भी उसे गाल पर चुम्बन करना शुरू कर दिया और करते-करते अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए।मैं कभी उसके निचले होंठ को चूसता, तो कभी मेरे निचले होंठ को वो चूसती।चुम्बन करते-करते हम कमरे के बेड पर आ गए, साथ ही चुम्बन करते-करते मैंने अपना एक हाथ उसके चूचे पर रख दिया। मस्ती में उसके चूचे इतने टाइट हो गए थे, मेरे हाथ लगाते ही कविता ने मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझे रोकने लगी, लेकिन फिर भी मैंने उसे चुम्बन करना नहीं छोड़ा और उसकी जीभ को मुँह में डाल कर चूसने लगा।बीयर का नशा और ऊपर से मेरी इस हरकत से वो गर्म होने लगी, वो मेरे होंठों पर बड़े ही सेक्सी अंदाज में दाँत गड़ाने लगी।

अब मैंने धीरे से अपना हाथ उसके टीशर्ट के अन्दर घुसा दिया और ब्रा के ऊपर से ही उसके चूचे दबाने लगा।अब कविता मादक सिसकारियाँ भरने लगी।मैंने देर ना करते हुए उसका टीशर्ट और ब्रा को उतार दिया। उसके स्तन फूल कर एकदम सख्त हो गए थे।कविता तो पूरी तरह से पागल हो चुकी थी, उसने मेरी जींस के ऊपर से ही मेरे लण्ड को पकड़ लिया और उसने जींस का हुक खोल दिया।मैं कविता के कड़े हो चुके स्तनों को चुसे जा रहा था धीरे धीरे वो इतनी उत्तेज़ित हो गई थी कि मुझे नीचे कर के खुद मेरे ऊपर आ गई और मेरी गर्दन पर चुम्बन करने लगी। मेरा नशा और बढ़ने लगा था, बीयर का भी और सेक्स का भी। कविता का भी यही हाल था, उसने जल्दी से मेरी शर्ट निकाल दी।साथ ही वो अपने नाखूनों को मेरी छाती पर गड़ाने लगी और फिर उसने मेरी जींस भी उतार दी


मेरे लण्ड को अंडरवियर के अन्दर फड़फड़ाता देख कि कविता की आँखों में चमक आ गई और वो मेरे लण्ड को बाहर निकाल कर ऊपर-नीचे करने लगी।मेरा लण्ड तो मस्ती में डूबने लगा।मैंने भी देर ना करते हुए कविता की जींस और पैंटी उतार फेंकी। अब कविता ओर मैं बिल्कुल नंगे थे। कविता के खुले बिखरे बाल और उसके उन्नत कड़क चूचे, उसकी सुन्दरता को और भी बढ़ा रहे थे। मैं कविता को फिर से चुम्बन करने लगा और वो नीचे से मेरे लण्ड को सहला रही थी।मुझसे अब रुका ना गया और मैं उसकी चूत पर अपने लण्ड को ऊपर से ही रगड़ने लगा। कविता मेरी इस हरकत से पागल सी हो गई और ज़ोर-ज़ोर से सिसकारियाँ भरने लगी और मेरी कमर पर नाख़ून गड़ाने लगी। मेरे लण्ड के पानी और उसके चूत के पानी का मिलन बड़ा ही मधुर था। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।

कविता से रहा ना गया, तो उसने नीचे से एक उछाल लगाई और मेरा लंड थोड़ा सा अन्दर घुस गया। साथ ही मैंने एक ज़ोर का धक्का मारा और मेरा लण्ड सीधा कविता की बच्चेदानी से जा टकराया।इस वजह से कविता की चीख निकल गई- मार डालोगे क्या.. आराम से डालो न…अब मैं कविता को चुम्बन करने लगा, उसका दर्द अब मज़े में बदलने लगा, वो ज़ोर-ज़ोर से सिसकारी भरने लगी।अब मैं उसे बुरी तरह चोद रहा था, उसके दोनों पैर मेरे कंधों पर थे और मेरा लण्ड उसकी चूत में शंटिंग कर रहा था। पूरा कमरा हमारी मादक सिसकारियों से गूँज रहा था, “आहह.. आह्हह्ह.. उऊईई मा…!”कविता ने अचानक मेरे कान की लौ को काटना शुरू किया। मुझे और भी उत्तेजना आने लगी। अति उत्तेजना में आ कर मैंने भी ज़ोर से धक्के मारने शुरू कर दिए।अब कविता को मज़ा भी आ रहा था और मीठा-मीठा दर्द भी हो रहा था, उसकी आँखें मस्ती में बन्द हुए जा रही थीं।उसने मेरी कमर को नोचना शुरू कर दिया, पूरी कमर में उसने नाख़ून गड़ा दिए। उस वक़्त तो मैं नशे में चूर हो कर बस उसे चोद रहा था, लेकिन उसका इस तरह से नाख़ून गढ़ाना, मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। मेरे सारे शरीर में झुरझुरी सी चल रही थी।मैंने अपने धक्कों की रफ़्तार और भी तेज़ कर दी।

कुछ देर बाद कविता मेरे ऊपर आ गई और मुझे चोदने लगी। उसके चूचे ऊपर-नीचे को लहरा रहे थे। मुझे उसका चेहरा बहुत ही कामुक लग रहा था। कविता के धक्के तेज़ होने लगे। उसकी चूत से पानी बहुत तेज़ बह रहा था, शायद वो झड़ने वाली थी। वो ज़ोर-ज़ोर से दाँत भींच रही थी और सिसकारियाँ ले रही थी। अचानक उसने धक्के और भी तेज़ कर दिए और वो शांत होने लगी। उसके चेहरे से साफ लग रहा था कि वो झड़ चुकी है। वो एकदम से निढाल हो चुकी थी। वो मेरे ऊपर ऐसे ही लेट गई, लेकिन मेरा तो अभी बाकी था।मैंने उसे नीचे लिटाया और चोदना शुरू कर दिया। उसे दर्द होने लगा, वो दर्द से कराहने लगी लेकिन थोड़ी देर बाद मुझे महसूस हुआ कि मेरा लण्ड अकड़ रहा है, उसकी नसें और भी ज़्यादा टाइट हो गई हैं, मेरी स्पीड बढ़ने लगी, मेरी आँखें मस्ती में बन्द हो रही थीं।मैं झड़ने वाला था, मैं ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगा और फिर कुछ ही देर में मेरे लण्ड ने पिचकारी मारी और मेरा वीर्य कविता की चूत को भरने लगा। कविता का पानी भी छूट गया और हम दोनों निढाल से पड़ गए।

शाम के 6 बज चुके थे। कविता ठीक से चल भी नहीं पा रही थी। मैंने उठ कर उसे पेन किलर दी और फिर फ्रेश होकर भेडाघाट की हसीं वादीयो से वापस आ गए

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